Sunday, July 4, 2010

Computer Training Center (Crash Course)
कोम्पुटर प्रशिक्षण, हर साल दसवी और बारहवी की परीक्षा के बाद अप्रैल, मे, और जून में हम कोम्पुटर क्रेश कोर्स करते है, यह बस्ती के गरीब यूवाओं के लिए होता है जो बाज़ार मैं बिक रहे कोम्पुटर शिक्षा को नहीं खरीद सकते इस लिए हम यह बसिक कोम्पुटर कोर्स सिर्फ १००/- मैं ४० दिनों का ये कोर्स चलते है। अब तक आगाज़ ने 150 से 200 युवाओं वो बच्चों को कोम्पुटर सिखा चुके है।
हमारे साथी इस के लिए सोय्म्सेवक पढ़ने का काम करते है।
तौसिफ शैख़, अक्षता, इस्माइल शरीफ , हरिकेश गुप्ता और मोहसिन शैख़

इस क्रेश कोर्स मैं निचे लिखी हुई चीजें ४० दिनों मैं सिखतें है






Office Automation

Fundamentals of computer
Concept of Hard Ware & Soft Ware
MS-Word
MS-Excel
MS-Power point
Multimedia
Windows xp Operating system
Concept of Internet



चिल्ड्रेन्स क्लब
बच्चों के साथ हर रविवार विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ करना जिन से बच्चों मैं आत्मविश्वास बड़े, जैसे चित्र कला, डांस, सामान्य ज्ञान, विज्ञानं के नमूने और लिखना पड़ना। इसी के साथ साथ कुछ खास प्रकार के ट्रेनिंग भी दी जाती है जैसे कॉमिक बनाना, ग्रीटिंग बनाना आदि, साथ साथ हम बच्चों को एक्स्पोसेर विसित भी करवाते हैं जहाँ वोह कुछ नया अनुभव कर सके। जैसे नेशनल पार्क, जीजा माता उद्यान, संघ्रालय (मुसियम), और नेहरु सायंस सेन्टर जैसी जगह जहाँ योह मज़े के साथ साथ ज्ञान भी लेते रहेते है।
अब तक हमसे बस्ती के करीब २०० बचों के साथ जुड़ाव बन पाया है पर एक साथ इन के साथ कम करना थोडा कठिन है एक समय मैं ४० से ५० बच्चों के साथ ही गतिविधियाँ कर पते है।


नेतृत्व विकास शिबिर (Leadership Camp)
१५ और १६ अगस्त २००९
जगह: जे जे नर्सिंग असोसिअशन (मलाड मार्वे)
संसाधन
व्यक्ति: सीताराम शेलार (युवा), इस्माईल शरीफ (आगाज़), उर्मिला (अक्षरा)
आगाज़ हर साल यूवाओं के साथ नेतृत्व विकास शिबिर करता है जिस मैं १५ से ३० साल तक के २५ से ३० युवक व युवतियां शामिल होकर अपना नेतृत्व विकास कर सकते है। इस कार्यशाला में ख़ास संचार, नेतृत्व, वेक्तिम्ह्त्व विकास, पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। यह कार्यशाला २ दिवसीय होती है इस कार्यशाला के आयोजन मैं हमारी कुछ साथी संघटनाओं ने भी सहयोग किया है, जॉय सामाजिक संस्था, जोगेश्वरी विकास मंच, के अय्से युवा जिन मैं भविष्य मैं हम नेतृत्व की भूमिका मैं देखते है उन युवाओं के साथ नेतृत्व विकास पर बढ़िया काम क्या


Saturday, July 3, 2010

रिसर्च
विषय: (Quality of Education) शिक्षण गुणवत्ता
हम आगाज़ के साथियों ने साल २००९ से २०१० तक (Quality of Education) शिक्षण गुणवत्ता पर एक साल का पुकार की सहएता से सहभागी रिसर्च किया। जिस में हम ने अपने इलाके के कुछ स्कूलों की व्यवस्था के बारे में जाना। हमें पता चला की बच्चो को स्कूल में जो परेशानी होती है वो क्यों होती है। यह जानकारी हासिल करने के लिए हमने इन्तर्विव किया टीचर्स के साथ, पालक के साथ और प्रिंसिपल के साथ भी। इस से हमें फिर भी पूरी जानकारी हासिल नहीं हो पा रही थी इस लिए हमने बच्चे, पालक और टीचर्स के साथ एक कमुनिटी इवेंट किया। इस कमुनिटी इवेंट में हमने बच्चो की वकृत्व स्पर्धा राखी उस वकृत्व स्पर्धा से हमें बच्चो की मन की बात मालूम हुई कुछ बच्चो ने कहा की स्कूल की टीचर्स उन्हें सही से नहीं पढ़ा पाती है कुछ ने कहा की स्कूल में जगह कम होती है और बच्चे ज्यादा होते है. फिर हमने सब के सामने एक सवाल किया हमने उनसे पुछा की "एक बच्चे के फ़ैल होने पर उसके पीछे जिमेदार कौन" इस सवाल से हमें उनसे यह पूरी जानकारी हासिल होई के बच्चे सही से पढ़ नहीं पाते क्युकी उनके पालक उनपर धियान नहीं दे पाते यह टीचर्स का कहना था । पालक का कहना था की टीचर्स उन्हें सही से नहीं पढ़ा पाती है। बच्चो का कहना था की दोनों हम पर धियान नहीं देते। और उनका कहना है की वह सब टीचर्स सिर्फ चालाक या तो कहे इस्कोलर बच्चो पर ही धियान देते है।
इन सारी बातो से हमें और उन्हें यह पता की बच्चे अगर फ़ैल होते है तो उसके पीछे जिमेदार कौन कौन है " ५० प्रतिशत जिमेदार पालक होते है, २५ प्रतिशत खुद बच्चे जिमेदार होते है और २५ प्रतिशत बच्चे का ग्रुप सर्कल जिमेदार होता है"।

आरोग्य चिकित्सा शिबिर, २६ जनवरी 2007
दोपहर बजे से शाम ६ बजे तक
पता: लालजी मेहलोत्रा टेक्निकल इंस्टिट्यूट हेमा इन्दुस्ट्री के सामने मेघ्वादी, जोगेश्वरी पूर्व मुंबई ६०
डॉ, पी, के, यादो और डॉ, राजेंद्र सुर्वे के सहयोग से
शिबिर: इस शिबिर का आयोजन हम ने तब किया ज बरसातसे होने वाली गन्दगी के कारन लोगों मैं बीमारी फ़ैल रही थी जसे सर्दी खासी, बुखार जिस से खास कर बच्चे प्रभावित थे । गरीब बस्ती के लोग इसे छोटी मोती बीमारी समझ कर नज़र अंदाज़ कर देते है जो बच्चों को भुगतपड़ता है, महिलाएं खुद के आरोग्य के बारे मैं चिंता नहीं करती और इन बिमारियों के लि मेडिकल से दवाइयां खाती रहती है, जो अक्सर बड़ी बीमारी को दावत दे देती है।
हम इन बसिवालों के लिए मुफ्त चिकित्सा और दवाइयां का आयोजन किया था। इस शिबिर मैं आस पास की बस्ती के १८४ लोगों ने अपना चेच्कुप करवाया और दवाइयां भी ली जिन में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।
इस शिबिर के आयोजन के लिए लालजी मेहलोत्रा की श्रीमती सुरक्षा घोसालकर ने हमे जगह के लिए सहयोग दिया।
इस शिबिर के लिए इस्तमाल किया हुआ सारा खर्च आगाज़ के साथियों दुआर सहयोग राशी से हुआ और खुच आगाज़ के सहयोगी और मित्र भी इस मैं भगीदार है।